लेखनी कहानी -12-Apr-2022 शोर्ट स्टोरी लेखन # कैसा फर्क
धरा और पृथ्वी दोनों अपने अपने परिवार से दूर बड़े शहर मे रह कर नौकरी कर रहे थे ।दो साल हो गये थे शादी को पर अभी बच्चा करना उनके लिए जरूरी नही था वो अपने करियर पर ध्यान देना चाहते थे।धरा ने भी इसी शर्त पर शादी की थी कि शादी के बाद वह नौकरी नही छोड़े गी।पति पृथ्वी वैसे तो अच्छी कम्पनी मे कार्यरत था लेकिन उसने धरा की इच्छा को सम्मान देते हुए उसे नौकरी करने दी। पृथ्वी का परिवार थोड़ा रूढ़िवादी था वहां लड़के घर के काम मे हाथ नही बंटाते थे।धरा की और भी जेठानी थी वो भी अपने पतियों को भगवान की तरह पूजती थी। लेकिन धरा ठहरी कामकाजी महिला।अगर पृथ्वी हाथ नही बंटाएगा तो कैसे काम चलेगा।
एक दिन पृथ्वी की बहन सुमन का फोन आया,"धरा। पृथ्वी क्या कर रहा है जरा मेरी उससे बात करा।"धरा के मुंह से अचानक निकल गया,"दी वो तो मार्केट सब्जी लेने लगे है।"बस फिर क्या था उनका तो ननद पुराण चालू हो गया।"क्या धरा तुम भी ।कम से कम छुट्टी वाले दिन तो बख्श दिया करों मेरे को देखो मै तुम्हारे जीजा जी को पानी भी बैठे को देती हूं और तुम हो कि उसे काम पर लगाये रखती हो।"धरा होंठ काटकर रह गयी।बस इतना ही बोल पायी "सोरी दीदी आगे से नही भेजूं गी।"यह कहकर फोन रख दिया।जब पृथ्वी बाजार से सब्जी लेकर लौटा तो धरा को आवाज लगा कर बोला,"धरा जरा पानी देना।आज बड़ी भीड़ थी सब्जी मंडी में।"वैसे धरा बोलती थी कि आलू क्या भाव लिये , टमाटर का क्या भाव है ।पर आज मुंह फुलाकर पानी देकर किचेन में आ गयी।पानी पीकर जब पृथ्वी गिलास रखने आया और उसका मुंह फुला देखकर बोला,"क्या बात आज किस बात पर गुस्से हो?"धरा फट पड़ी ,"ना ना हमें गुस्सा होने का अधिकार ही नही है थकते तो तुम ही हो ना हम तो ऐश करते है।"पृथ्वी समझ गया कि दीदी का फोन आया होगा ।उसने धरा से पूछा,"सुमन दीदी ने कुछ कहा है क्या?"अरे उनकी तै आदत है वो मुझ से इतना प्यार करती है कि अपने भाई को काम करता देख नही सकती है ।तुम भी ना उनकी बात एक कान से सुनकर दूसरे से निकाल दिया करो।"
धरा सोचती , क्यूं मै इंसान नही हूं । क्या मेरे घर वालों को मेरी चिंता नही होती मै आफिस भी जाती हूं और घर भी समभालती हूं।
ऐसे ही एक दिन आफिस मे धरा की बड़ी बहन का फोन आया पृथ्वी के पास ,"हैलो, कैसे हो आप ।धरा का फोटो देखा बड़ी कमजोर लग रही है । पृथ्वी आप धरा का ध्यान रखिए। थोड़ा बहुत घर के कामों मे हाथ बंटा दीजिए ।वो सारा घर का काम करके आफिस जाएगी तो बीमार पड़ जाएगी।वो भी तो घर खर्च मे आप की मदद करती है।"
पृथ्वी को तो काटो खून नही।वह जैसे ही घर पहुंचा वैसे ही धरा पर बिफर पड़ा,"तुम्हारी बहन होती कौन है हमारे मामलों मे दखल देने वाली ।मै चाहे तुम्हारा हाथ बंटाऊ या ना बंटाऊ ।वो कौन होती है मुझे कहने वाली।"
धरा ने भी पृथ्वी की ही टोन मे जवाब दिया जब उसकी बहन ने उसे कहा था,"अरे समझा करो ।दी मुझे बहुत प्यार करती है उन्हें मेरी फ़िक्र है तभी ऐसा बोल दिया ।तुम ना एक कान से सुनकर दूसरे से निकाल दिया करो।"
यह कह कर धरा मन ही मन मुस्कुरा दी।और सोचा देखो आज कितनी मिर्ची लगी है ।पर भगवान का शुक्र है उस दिन के बाद धरा को किसी ने लैक्चर नही सुनाया कि तुम अपने पति से काम कराती हो।
जोनर# स्त्री विमर्श
Haaya meer
06-May-2022 05:29 PM
👌👌
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Muskan khan
06-May-2022 05:10 PM
Very nice
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Sachin dev
06-May-2022 04:58 PM
Nice
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